कड़कती धूप में पीपल की छांव सी,
धधकती आग में शीतल जल सी,
मुरझाए फूल की खिली कली सी,
एक लड़की थी जो बारिश में छाते की जगह नाचती, गाती ,भीगा करती थी,
एक लड़की थी जो मुश्किलों में भी हस्ती रहा करती थीं,
एक लड़की थी जो जीवन के मोह से परे थी,
एक लड़की थी जो सबसे अलग थी,
एक लड़की थी जो सबसे लड़ जाती थी,
मगर अब वो लड़ने से डरती है,
मगर अब वो धूप में कड़कती है , आग में धधकती हैं,
मगर अब वो ज़िंदगी से लड़ती है।
एक लड़की थी जो सबसे अलग थी,
मगर अब शायद सब जैसी ही लगती है।
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