वक्त की बात ही कुछ ऐसी है, कभी एक सा नही रहता,
ना अच्छा ना ही बुरा, वक्त बदलता जरूर है,
कभी ज़िंदगी में लड़ते लड़ते अगर ऐसा लगे ना कि अब वक्त साथ नही दे रहा, तो बस सब छोड़कर वक्त को थोड़ा वक्त देना,
सब सही पाओगे , कुछ वक्त बाद,
जिंदगी के पड़ाव में ऐसे यूंही बस चलाते रहना,
यही सीख मेरी मां ने मुझे दी थी
अब जब घर से दूर हूं, उनसे दूर हूं,
बस खुद को आईने में देख यही याद दिला दिया करती हु।
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