Tuesday, 17 March 2020

कुछ

कुछ ख्वाब है जो राहो से मिल नही सकते
कुछ राहे है जो ख्वाबो से टकरा नही सकती
चलते चलते बस साथ हो लिया करती है |

4 comments:

  1. ख्वाबो का राहो से क्या लेना
    इन से तो बस गुजर जाना है
    मंजिले खड़ी है आगे तुम्हारे
    तुम्हे तो बस चलते जाना है

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  2. राहो से गुज़र कर ही मंजिल मिलती है,
    आखिर ख्वाबो का क्या है,
    कही राहो मे ही छोड़ जाए |

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  3. राहे भी भटक जाती है
    बिना किसी मंज़िल के

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  4. मगर भटके राही की
    एक मंजिल कहा होती

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