ख्वाबो का राहो से क्या लेना इन से तो बस गुजर जाना है मंजिले खड़ी है आगे तुम्हारे तुम्हे तो बस चलते जाना है
राहो से गुज़र कर ही मंजिल मिलती है,आखिर ख्वाबो का क्या है, कही राहो मे ही छोड़ जाए |
राहे भी भटक जाती है बिना किसी मंज़िल के
मगर भटके राही कीएक मंजिल कहा होती
ख्वाबो का राहो से क्या लेना
ReplyDeleteइन से तो बस गुजर जाना है
मंजिले खड़ी है आगे तुम्हारे
तुम्हे तो बस चलते जाना है
राहो से गुज़र कर ही मंजिल मिलती है,
ReplyDeleteआखिर ख्वाबो का क्या है,
कही राहो मे ही छोड़ जाए |
राहे भी भटक जाती है
ReplyDeleteबिना किसी मंज़िल के
मगर भटके राही की
ReplyDeleteएक मंजिल कहा होती