Saturday, 27 July 2019

चलो आज फिर

चलो आज फिर उस चमकती रेत के सागर पर
जहा एक दूजे का हाथ थाम
 दूनिया से अंजान हो जाया करते थे !
वही तो एक सागर था
जो खाली होके भी मन भर जाया करता था
वहा ना दूनिया की कडवी बाते थी
और ना ही किसी की उम्मीदे नजर आती थी
बस वही शांति जिन्दगी बना जाती थी !

No comments:

Post a Comment